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अपनों से अपनी बात...
       देव भूमि भारत की आभानगरी डीडवाना क्षेत्र के विकास के लिए नगर व क्षेत्र में अनेक संस्थाएँ अपने-अपने तरीके से सदैव  प्रयासरत  रही,  लेकिन  संगठित  व सामूहिक प्रयास के अभाव में, वांछित सफलता नहीं मिल पाई और अपेक्षित विकास कार्य भी सन्तोषजनक रूप से सम्भव  नहीं  हो  पाए, इसलिए सम्पूर्ण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए किसी एक  संगठित, प्रतिष्ठित व स्वयंसेवी संस्था की आवश्यकता लम्बे समय से अनुभव की जा रही थी। सौभाग्य से, दिनांक 29.10.2005 के शुभ मुहूत्र्त में, बिना किसी भेदभाव के, सभी जाति, धर्म और राजनैतिक विचारधाराओं वाले दूरदर्शी महानुभावों ने एक साथ बैठकर  अनेकता  में  एकता  की प्रतीक, इस डीडवाना विकास परिषद् समिति का गठन किया, जो आज क्षेत्र के सर्वांगीण विकास  की अनेकानेक  योजनाएँ लेकर, एक स्वयंसेवी-विकास को समर्पित-प्रतिष्ठित व गैर राजनैतिक पंजीकृत संस्था के रूप में आगे बढ़ रही है।      

       ‘‘डीडवाना विकास परिषद् समिति’’ नाम  स्वतः ही समिति का परिचायक है। अपने उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए, चेहरे पर  खुशी और  नयनों में  विकास के सपने संजोये, आपकी अपनी इस डीडवाना विकास परिषद् समिति ने अब तक अपनी जो विकास यात्रा तय की  है, वह किसी से छिपी हुई नहीं  है। समिति  ने केवल और केवल क्षेत्रीय विकास व सेवा कार्यों को अपना लक्ष्य मानते हुए, हर सम्भव तरीके से सम्पूर्ण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में अपने कदम बढ़ाये हैं। समिति ने क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की सोच से स्थानीय व प्रवासी भामाशाहों को प्रेरित कर उनके सहयोग से विभिन्न विकास व सेवा प्रकल्पों को इस नगर के लिये सुलभ करवाया है, जिनमें राजकीय चिकित्सालय परिसर में सुन्दर देवी बाँगड़ स्मृति विश्राम गृह का निर्माण एवं नियमित व सुचारू संचालन, वर्तमान बस स्टेण्ड के जीर्णोद्धार व नवीनीकरण के अतिरिक्त क्षेत्रीय स्तर पर रेल अमान परिवर्तन एवं रेल सेवाओं का विस्तार आदि प्रमुख हैं। इन विकास कार्यों के अलावा विभिन्न चिकित्सा शिविर, विकलांग सहायता शिविर व रक्तदान शिविर आदि भी समिति समय-समय पर आयोजित करती रही है।

         डीडवाना विकास परिषद् समिति द्वारा अपने प्रथम वार्षिकोत्सव के रूप में दिनांक 24, 25 व 26 दिसम्बर, 2006 को डीडवाना नगर में ‘‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’’ को साक्षात् करने वाले एक अनूठे एवं भव्य प्रवासी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया, जिसे आज भी न भूतो-न भविष्यति के नाम से याद किया जाता है। सफलतापूर्वक सुसम्पन्न हुये इस प्रवासी सम्मेलन में वर्षों-वर्षों से सम्पूर्ण भारतवर्ष व विदेशों में प्रवास करने वाले डीडवाना के मूल निवासियों को समिति ने अपनी मातृभूमि पर आमन्त्रित किया, जिनका स्थानीय नगर निवासियों द्वारा तीन दिनों तक भावभीना स्वागत-सत्कार किया गया तथा उनके साथ बैठकें आयोजित कर इस नगर व क्षेत्र के विकास की दृष्टि से हर सम्भव योजनाओं पर चिन्तन-मनन किया।
         

             प्रवासी सम्मेलन के दौरान हुये चिन्तन - मनन के दौरान हुई, विभिन्न विकास एवं सेवा प्रकल्पों की चर्चा में क्षेत्रीय स्तर पर सह-शिक्षा व्यवस्था से पृथक बालिका उच्च शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता भी अनुभव की गई। नगर में छात्रों एवं छात्राओं को शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से यहाँ अनेक राजकीय एवं निजी शिक्षण संस्थाएँ कार्यरत थी, लेकिन उच्च शिक्षा की दृष्टि से यहाँ केवल एक राजकीय महाविद्यालय ही सेवारत रहा, जहाँ छात्र एवं छात्राओं की सह-शिक्षा व्यवस्था होने के कारण ग्रामीण परिवेश के अभिभावक अपनी बच्चियों को इस सह-शिक्षा व्यवस्था में भेजने से हिचकिचाते थे तथा डीडवाना नगर के 85 किलोमीटर चारों ओर, कोई भी पृथक राजकीय महिला महाविद्यालय उपलब्ध नहीं होने के कारण, सीनियर सैकण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बालिकाओं को या तो उच्च शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा था या स्वयंपाठी छात्राओं के रूप में घर पर ही, बिना किसी मार्गदर्शन के अपनी पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा था, हालांकि कुछ बेटियों को मजबूरी में सह-शिक्षा व्यवस्था को भी स्वीकार करना पड़ रहा था, लेकिन उन छात्राओं का प्रतिशत, उच्च शिक्षा की इच्छुक बालिकाओं की तुलना में नगण्य था। इसलिए इस नगर में लम्बे समय से पृथक महिला महाविद्यालय की आवश्यकता की पुष्टि की गई। 

                इस  आवश्यकता  की  सम्पूत्र्ति हेतु, समिति ने यहाँ सह - शिक्षा व्यवस्था से पृथक, राजकीय महिला महाविद्यालय खुलवाने हेतु यूथ हाॅस्टल-अजमेर में मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुन्धरा राजे जी (राज्य सरकार) के समक्ष अपना अनुरोध प्रस्तुत किया, लेकिन उपलब्ध परिस्थितियों में यहाँ पृथक राजकीय महिला महाविद्यालय खुलने में विलम्ब होता देखकर, मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुन्धरा राजे जी की प्ररेणा से समिति ने उदार हृदय प्रवासी एवं स्थानीय महानुभावों के भरोसे साहस कर एक राजकीय भवन को किराये पर लेकर उसमें बिना किसी व्यावसायिक अथवा अन्य लाभ की सोच के जुलाई, 2007 में सामान्य फीस संरचना पर यहाँ महिला महाविद्यालय का संचालन प्रारम्भ किया, जिसकी परिणति एवं प्रगति आज हम सबके सामने है।      

 महाविद्यालय  द्वारा  विगत ग्यारह वर्षों के इस अल्प समय में ही शिक्षा, संस्कार, अनुशासन, परीक्षा परिणाम एवं छात्राओं की सुरक्षा आदि क्षेत्रों में अर्जित की गई  अपेक्षा से अधिक साख के कारण, इस महाविद्यालय में अध्ययन करने वाली छात्राओं की संख्या में प्रतिवर्ष उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है तथा वर्तमान में यहाँ 100 से भी अधिक गाँवों की सभी जाति एवं धर्म में विश्वास करने वाली 500 से अधिक छात्राएँ अध्ययनरत हैं।        

सम्माननीया मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुन्धरा राजे जी अपनी विभिन्न यात्राओं  के दौरान कई बार महाविद्यालय पधारीं तथा महाविद्यालय की  सोच, व्यवस्थाओं और प्रबन्धन से सन्तुष्ट व प्रभावित  होकर माननीय  मुख्यमन्त्री महोदया ने इस महिला महाविद्यालय को वह राजकीय भूमि, जहाँ यह महिला महाविद्यालय किराये के भवन में चल रहा था, वह भवन एवं भूमि स्वयं का भवन बनाने के लिये आवंटित किये जाने की घोषणा अपने बजट भाषण वर्ष 2008-09 के बिन्दू संख्या 39 में विधान सभा में कर दी। संयोग से आवंटन प्रक्रिया सम्पूर्ण होने से पूर्व ही राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। दूसरी सरकार ने इस भूमि के आवंटन की पत्रावली का पुनः परीक्षण करवाया तथा पुनः परीक्षण में भी सही पाये जाने पर सम्माननीय श्री यूनुस खान् जी सार्वजनिक  निर्माण  विभाग एवं परिवहन मन्त्री राजस्थान सरकार के  अथक प्रयासों से डीडवाना विकास परिषद् समिति डीडवाना को महिला महाविद्यालय के नवीन भवन के निर्माण एवं महाविद्यालय संचालन हेतु दिनांक 22 अगस्त, 2014 को राजस्थान राज्य के राज्यपाल की ओर से आयुक्त/निदेशक, काॅलेज शिक्षा राजस्थान सरकार के  प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षरों से यह 11021.521 वर्गमीटर भूमि नवीन भवन निर्माण हेतु डीडवाना विकास परिषद् समिति को आवंटित कर दी गई।      

 जहाँ  सम्माननीया  श्रीमती वसुन्धरा राजे जी, यशस्वी मुख्यमन्त्री-राजस्थान सरकार ने स्वयं डीडवाना पधारकर अपने  कर कमलों से  विगत 28 अक्टूबर, 2015 को महिला महाविद्यालय  के नवीन भवन का शिलान्यास सम्पन्न किया, तत्पश्चात् विख्यात् वास्तुकारों व कुशल निर्माण विशेषज्ञों द्वारा मानचित्र बनाया जाकर, यहाँ लगभग एक लाख वर्गफुट से अधिक के निर्माण कार्य के रूप में महाविद्यालय के नवीन भवन का निर्माण कार्य तीव्र गति से सम्पूर्णता की ओर अग्रसर है।        

         समिति द्वारा नवनिर्मित होने वाले भवन के लिये आर्थिक सहयोग हेतु सभी दान-दाताओं एवं भामाशाहों से अपील की  गई  व  जारी है, इस परिकल्पना को  साकार करने के लिये अब तक सबसे अधिक  आर्थिक  सहयोगी के रूप में सम्माननीय श्री बेणूगोपाल जी हरिमोहन जी बाँगड़ द्वारा अपनी श्री सीमेन्ट लिमिटेड व अन्य कम्पनियों के सी. एस. आर.फण्ड से  9.50 करोड ़रूपये की राशि उपलब्ध करवाकर अपनी मातृभूमि के प्रति अपने असीम स्नेह का परिचय दिया है, एतद्र्थ डीडवाना विकास परिशद् समिति बाँगड़ परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करती हैै। समिति ने सम्माननीय श्री  बेणूगोपाल  जी हरिमोहन जी बाँगड़ द्वारा प्रदत् सहयोग के लिये हार्दिक  आभार ज्ञापित करते  हुये, आयुक्तालय-काॅलेज शिक्षा, राजस्थान से स्वीकृति प्राप्त कर अब इस महिला महाविद्यालय का नाम डीडवाना  महिला महाविद्यालय के स्थान पर श्री बाँगड़ महिला महाविद्यालय कर दिया है। नवनिर्मित भवन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, विश्वविद्यालय  एवं  आयुक्तालय  काॅलेज  शिक्षा द्वारा निर्धारित मापदण्डानुसार सभी  आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला तथा पूर्णतया सभी सुविधाओं एवं संसाधनों से सुसज्जित होगा, जहाँ  समिति आगामी शिक्षा सत्रों में  अन्य संकाय खोलने  एवं स्नातकोत्तर कक्षाएँ  प्रारम्भ करने की भी इच्छा रखती है, जिससे कि हमारी इन बेटियों को और आगे बढ़ने तथा अपनी प्रतिभाओं को प्रकट करने में सहायता मिल सके।
     

          समिति द्वारा नवीन भवन निर्माण करवाये जाने के लिये दो वर्ष तक यहाँ अन्यत्र एक भवन किराये पर  लेकर वहाँ दो शिक्षा सत्रों में महाविद्यालय का संचालन किया गया, लेकिन वहाँ स्थानाभाव के कारण समिति को इस निर्माणाधीन भवन का एक ब्लाॅक अपने अधिकार में लेकर वहाँ जुलाई 2017 से महाविद्यालय का संचालन कार्य प्रारम्भ करना पड़ा, जहाँ ग्रामीण एवं शहरी छात्राओं की स्नातक स्तरीय शिक्षा प्रभावी रूप से चल रही है।       महाविद्यालय में कम्प्यूटर, भूगोल एवं गृह-विज्ञान जैसे सभी प्रायोगिक विषयों की अत्याधुनिक उपकरणयुक्त प्रयोग शालाएँ, सुसज्जित पुस्तकालय, काॅमन-रूम, केन्टीन, पी.सी.ओ. आदि सभी सुविधाएँ विद्यमान हैं, जिनका उपयोग कर छात्राएँ लाभान्वित हो रही हैं। प्रबन्धन द्वारा सभी अध्ययनरत् छात्राओं का निःशुल्क विद्यार्थी सुरक्षा बीमा भी करवाये जाने के साथ-साथ कतिपय छात्राओं को प्रतिवर्ष शैक्षणिक भ्रमण पर भी भेजा जाता है। ग्रामीण छात्राओं के आवागमन की कठिनाइयों का अनुभव करते हुए, प्रबन्धन द्वारा निःशुल्क वाहन सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
      यह महाविद्यालय न केवल डीडवाना नगर का ही, अपितु सम्पूर्ण नागौर जिले में एकमात्र महाविद्यालय है, जहाँ सुरक्षाकर्मी के साथ-साथ छात्राआंे का महाविद्यालय आने व यहाँ से वापस जाने का समय पूर्णतया कम्प्यूटर द्वारा नियन्त्रित हो रहा है। छात्रा ज्यांे ही महाविद्यालय पहुँचती है, या यहाँ से वापस बाहर निकलती है तो उसे बेरीकेट्स के रास्ते से ही महाविद्यालय में आना व जाना होता है। मेटल डिटेक्टर की तरह लगे हुये बाॅयोमेटिक डिवाइस, प्रवेश करने वाली प्रत्येक छात्रा को अन्दर आने की अनुमति देकर, छात्रा के घर पर स्वतः ही ैडै करते हैं कि आपकी बिटिया महाविद्यालय पहुँच गई है तथा ज्यों ही छात्रा वापस जाती है, उसके घर पर स्वतः ही ैडै करते हंै कि छात्रा महाविद्यालय छोड़ चुकी है।       महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की 100 स्वयं सेविकाओं की एक इकाई भी सफलता पूर्वक संचालित हो रही है तथा हमारी बेटियाँ अपनी शैक्षणिक व सह-शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ समाज सेवा एवं राष्ट्रीय सेवा योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बहुत आगे बढ़-चढ़ कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। महाविद्यालय की छात्राओं ने समाज सेवा के क्षेत्र में यहाँ रक्तदान तथा विकलांग सहायता जैसे शिविर लगाकर तथा स्वयं का भी रक्तदान कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। साथ ही छात्राओं ने स्थानीय गौशाला परिसर की सफाई व गायों की सेवा तथा कच्ची बस्ती में गरीब व  अशिक्षित परिवारों की विभिन्न दृष्टि से सहायता व समझाइस करके भी अपनी पहचान बनाई है। इसी श्रृंखला में तीज, गरबा, घूमर, डांडिया एवं पतंग महोत्सव जैसे संस्कृति रक्षक व लोकप्रिय आयोजन भी, इस महाविद्यालय में प्रतिवर्ष आयोजित होते रहते हैं।      

                समय-समय पर आयोजित  होने वाली विभिन्न स्तर की खेल व सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भी इस महाविद्यालय की छात्राएँ न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अन्तर महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर भी उच्च स्थान प्राप्त कर इस नगर को गौरवान्वित करती रही हैं। प्रबन्धन  द्वारा छात्राओं को शैक्षणिक व सहशैक्षणिक सभी गतिविधियों में प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष पर्यन्त विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाने का प्रयास भी किया जाता है।  महाविद्यालय स्तर पर छात्राओं के लिये ड्रेस कोड, निःशुल्क काॅलेज बेग्स तथा छात्राओं के साथ-साथ अभिभावक परिचय-पत्र व्यवस्था भी यहाँ लागू है।      

महाविद्यालय की फीस संरचना के सम्बन्ध में समिति की स्पष्ट सोच है कि हमारी बेटियों को न्यूनतम फीस संरचना पर यह शिक्षा सुविधा सुलभ हो, हमारा केवल और केवल एक ही ध्येय है कि हमारी मातृभूमि की यह होनहार छात्राएँ, हर क्षेत्र में शीर्ष का स्पर्श करें व अपना, अपने परिवार का, इस महाविद्यालय तथा इस नगर का नाम गौरवान्वित करें, इसलिए यहाँ अध्ययनरत छात्राओं के लिये फीस संरचना सामान्य ही, यानि एल.के.जी. से भी कम रखते हुए, उसमें भी पात्र छात्राओं को इस शुल्क में भी राहत व विभिन्न छात्रवृत्तियों की सुविधा यहाँ विद्यमान है तथा महाविद्यालय संचालन व्यय में हो रही कमी की पूर्ति, दानदाताओं से संचालन सहयोग प्राप्त कर तथा 11,000/- रूपये प्रति छात्रा-प्रतिवर्ष की दर से गोद अनुदान राशि संग्रहित कर भामाशाहों के सहयोग से पूरी की जा रही है, इसके लिये सभी दानदाताओं की जितनी प्रशंसा की जाये, उतनी ही कम है।      

           इस महाविद्यालय में अध्ययन करने वाली छात्राओं में अध्ययन के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पद्र्धा की भावना जागृत हो और वे बेहतर प्रयास करने की ओर प्रेरित हों, इस दृष्टि से महाविद्यालय प्रबन्ध समिति द्वारा प्रतिवर्ष महाविद्यालय स्तर पर हर संकाय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्रा को स्वर्ण पदक, द्वितीय रहने वाली छात्रा को रजत पदक तथा तृतीय रहने वाली छात्रा को काँस्य पदक से विभूषित किये जाने की परम्परा भी यहाँ विद्यमान है।      

           हमारा  ध्येय  वाक्य  है  कि ‘‘हमारे भगवान् हमारी छात्राओं में विद्यमान हैं।’’ इसी के अनुरूप हम गतिशील हैं। हम यह गौरव के साथ कह सकते हैं कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः का  साक्षात् स्वरूप तथा बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ लोकोक्ति की सही परिणति  कर आपका अपना यह ‘‘श्री बाँगड़ महिला महाविद्यालय’’ न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में अपितु सह- शैक्षणिक क्षेत्र की अपनी गतिविधियों से भी निजी-क्षेत्र के महाविद्यालयों में  अपनी एक अलग पहचान बना चुका है तथा वह दिन अब दूर नहीं, जब यह महाविद्यालय राजस्थान के एक आदर्श महिला महाविद्यालय के नाम से जाना जायेगा। हम सबकी भावना है कि  यह श्री  बाँगड़ महिला महाविद्यालय नगर, जिले  व राज्य की एक धरोहर के रूप  में प्रमाणित हो, लेकिन यह तभी सम्भव है, जब हम सब इस संस्था को अपना नियमित शुभाशीर्वाद प्रदान करें।
 

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